PM Kisan Yojana 21th Installment: देशभर के करोड़ों किसानों की निगाहें 21वीं किस्त पर टिकी हैं। आधिकारिक अखिल-भारतीय तिथि अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन प्रमुख मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिवाली से पहले, यानी अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक किश्त जारी होने की प्रबल संभावना है। कुछ आपदा-प्रभावित राज्यों में अग्रिम भुगतान शुरू भी हो चुका है, जबकि बाकी राज्यों में वितरण दिवाली से पहले चरणबद्ध ढंग से होने की उम्मीद जताई जा रही है।
क्या नया है: तिथि, राज्यों में अग्रिम भुगतान और स्थिति
- केंद्र स्तर पर 21वीं किस्त की औपचारिक देशव्यापी तिथि घोषित नहीं है; मीडिया आकलन के मुताबिक अक्टूबर के मध्य से अंत तक भुगतान की संभाव्यता बताई जा रही है।
- आपदा-प्रभावित राज्यों को राहत स्वरूप अग्रिम भुगतान:
- 26 सितंबर 2025 को पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लाखों किसानों को 21वीं किस्त सीधे खातों में भेजी गई।
- 7 अक्टूबर 2025 को जम्मू-कश्मीर के 8.55 लाख किसानों के लिए ₹171 करोड़ की राशि स्वीकृत/रिलीज़ की गई।
- कई रिपोर्ट्स में संकेत है कि शेष राज्यों का भुगतान दिवाली से पहले चरणबद्ध रूप से पूरा किया जा सकता है; परन्तु आधिकारिक सर्व-राज्य तिथि का नोटिस अभी शेष है।
“ई-केवाईसी के बिना भुगतान नहीं”—यह निर्देश हालिया अपडेट्स में साफ तौर पर दोहराया गया है।
योजना का सार: राशि, आवृत्ति और पात्रता
- वार्षिक सहायता: ₹6,000 प्रति वर्ष (तीन समान किस्तों में ₹2,000-₹2,000)।
- पात्रता का मूल आधार: भूमि धारक छोटे/सीमान्त किसान—योजना का लक्ष्य भूमिधारी किसानों की प्रत्यक्ष आय सहायता है।
- भुगतान का तरीका: सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से।
ई-केवाईसी, दस्तावेज़ और अनिवार्य अनुपालन
- ई-केवाईसी अनिवार्य: बिना ई-केवाईसी अगली किस्त जारी नहीं की जाएगी।
- बैंक-विवरण/आधार लिंकिंग: बैंक खाता आधार से लिंक रहे, आईएफएससी सही हो, खाता सक्रिय हो—अन्यथा भुगतान अटक सकता है।
- भूमि वेरिफिकेशन/डेटा-संगति: आवेदन/राजस्व अभिलेखों और पोर्टल डेटा में मेल होना चाहिए।
लाभार्थी स्टेटस/लिस्ट और किस्त ट्रैक कैसे करें
- आधिकारिक पोर्टल पर लाभार्थी स्थिति की जांच का विकल्प मिलता है—यहीं से किस्त की अद्यतन स्थिति, नामांकन और लिस्ट देखी जा सकती है।
- सामान्य चरण:
- पोर्टल के किसान-सेक्शन में लाभार्थी स्टेटस/लाभार्थी सूची विकल्प चुनें।
- राज्य, ज़िला, ब्लॉक/ग्राम चुनकर रिपोर्ट देखें, या पंजीकृत मोबाइल/आधार/खाता-आधारित स्टेटस खोजें।
- ई-केवाईसी और आधार-बैंक लिंकिंग की स्थिति भी वहीं से सत्यापित करें।
- एसएमएस अलर्ट: किस्त जारी/क्रेडिट होने पर पंजीकृत मोबाइल पर संदेश प्राप्त होता है—इसलिए फोन पर आने वाले संदेशों पर नज़र रखें।
भुगतान अटकने के आम कारण और उनके समाधान
- ई-केवाईसी लंबित/अपूर्ण—समाधान: पोर्टल/निकटस्थ सुविधा केंद्र पर ई-केवाईसी पूरा करें।
- आधार-बैंक लिंकिंग न होना, गलत आईएफएससी या निष्क्रिय बैंक खाता—समाधान: बैंक विवरण दुरुस्त करें और आधार-लिंकिंग की पुष्टि करें।
- आवेदन के समय गलत/अधूरा डेटा—समाधान: रिकॉर्ड अपडेट कराकर पोर्टल में संशोधन सुनिश्चित करें।
- संदिग्ध/दोहराव लाभार्थी: हाल की रिपोर्ट्स में लगभग 31 लाख संदिग्ध प्रविष्टियों का उल्लेख हुआ—ऐसे मामलों में सत्यापन के बाद ही भुगतान संभव है।
पिछला ट्रेंड: किस्तें कब आईं?
- 2023 में एक किस्त 15 नवंबर को जारी हुई थी।
- 2024 में 18वीं किस्त 5 अक्टूबर को भेजी गई थी।
- 2025 में 20वीं किस्त के बारे में कई रिपोर्ट्स में 2 अगस्त को वितरण का उल्लेख मिलता है; लाभार्थियों की संख्या करोड़ों में रही।
इन उदाहरणों से संकेत मिलता है कि त्योहारी/फसल-चक्र के आसपास भी वितरण अक्सर देखा गया है, हालांकि प्रत्येक किस्त की सटीक तिथि आधिकारिक कार्यक्रम और सत्यापन-चक्र पर निर्भर रहती है।
FAQs
- सवाल: 21वीं किस्त की देशव्यापी आधिकारिक तिथि क्या है?
जवाब: देशव्यापी आधिकारिक तिथि अभी घोषित नहीं है; मीडिया आकलन के अनुसार दिवाली से पहले अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक भुगतान की संभावना जताई गई है। - सवाल: ई-केवाईसी अनिवार्य है क्या?
जवाब: हाँ, ताज़ा निर्देशों के अनुसार ई-केवाईसी के बिना भुगतान जारी नहीं होगा। - सवाल: किन राज्यों में अग्रिम भुगतान हो चुका है?
जवाब: आपदा-प्रभावित राज्यों—पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड—में 26 सितंबर 2025 को अग्रिम भुगतान हुआ था; जम्मू-कश्मीर के लिए 7 अक्टूबर 2025 को राशि स्वीकृत/रिलीज़ हुई। - सवाल: स्टेटस/लाभार्थी सूची कैसे चेक करें?
जवाब: आधिकारिक पोर्टल के किसान-सेक्शन में लाभार्थी स्टेटस/लिस्ट विकल्प से राज्य–ज़िला–ब्लॉक/ग्राम चुनकर रिपोर्ट देखें; पंजीकृत मोबाइल/आधार/खाते से भी ट्रैकिंग संभव है। - सवाल: भुगतान अटकने के प्रमुख कारण क्या हैं?
जवाब: लंबित ई-केवाईसी, आधार-बैंक लिंक न होना, गलत आईएफएससी/निष्क्रिय खाता, या रिकॉर्ड में त्रुटियाँ—इनमें से किसी कारण से भुगतान रुक सकता है।